मंगलवार, 7 जुलाई 2015

आज भी सोचता हूँ तो एक धीमी सी मुस्कान फैल जाती है अधरों पर

बात शायद मार्च, 2012 की है ।विद्यालय की वार्षिक परीक्षा चल रही थी।उन्ही में से किसी दिन की बात है, 11:30 बजे परीक्षा समाप्त हो चुकी थी और बच्चे जा चुके थे।हमने सोचा कि स्टाफरूम में चलकर टिफिन कर लिया जाए और चाय पी ली जाए।मैं स्टाफरूम की तरफ बढ़ा और फ्रिज से टिफिन निकाल कर अपने ग्रुप के साथ बैठ गया । खास बात यह कि मैं अकेला पुरुष सबके बीच में ।टिफिन खोला और सबने उसमें से कुछ कुछ लिया।सबने तारीफ की खाने की और एक ने कहा कि 'अनुराग सर आपने बनाया है?' मैंने भी मजाक में कहा "नहीं मैम पड़ोसी की बीवी से सेटिंग है, वही सेवा करती है।" खैर सब लोग इस बात को लेकर हँस दिए फिर मैंने कहा " मैडम मैं प्रतिदिन 5 बजे उठता हूँ और अपना खाना खुद बनाता हूँ और उतना बनाता हूँ जितना खा-पीकर खत्म हो जाए, इसी कारण से फ्रिज नहीं रखा है। 15 वर्ष हो गए बाहर खाए हुए ।Never had even a single meal outside in last 15 years.
इसी बीच एक टीचर ने मुझे छेड़ते हुए कहा " बनारसी बाबू एक बात बताओ"।
मैंने कहा 'हाँ पूछिए मैम'
उन्होंने कहा ' जितना मैं आपको जान पाई हूँ इन 6-7 महीनों में, आप एक हाईली एडुकेटेड टीचर हैं, जिसका अपने विषय के अलावा कई विषयों पर जबरदस्त पकड़ है, आपने अपने ऊपर जबरदस्त discipline impose किया हुआ है।रोज सुबह स्कूल पैदल चलकर आना-जाना, खुद बनाना खाना वो भी साला ऐसा कि ऊँगलिया चाटते रह जाओ, किसी भी उस चीज पर आश्रित न होना जो आरामदायक है।बोलने बतियाने की तमीज है, बहुत सिम्पल पहनावा जिसे 30-32 वर्ष के दिल्ली के युवक से अपेक्षा नहीं की जा सकती, Clean and clear by heart and mind, never hesitate to speak truth. On the whole a nice human being from whom lot of things are there to be learned. लेकिन ये बता कि इतना सबकुछ होने के बावजूद तेरे को आजतक कोई लड़की नहीं मिली जिसे तू अपनी लुगाई बना सके।"
मेरे को हँसी आ गई और मेरे साथ सब ठहाके मारकर हँस दिए।
मैंने कुछ नहीं कहा तो फिर उन्होंने कहा ' कुछ बोलेगा भाई?'
मैंने कहा 'मैम बुरा मत मानिएगा तो एक बात कहूँ '
उन्होंने कहा 'बोल भाई'
" मैडम मैंने इण्टर के बाद अपनी पढ़ाई खुद की है, कमाया और पढ़ा साथ में भाई को रखकर पढ़ाया बीटेक कराया और today I can proudly say that I have made myself और रही बात लड़की और लुगाई कि,मैडम जबसे मेरे को रिलेशनशिप का अर्थ समझ में आया है तब से लेकर आज तक मैंने हजारों लड़कियों के साथ पढ़ाई की और जबसे नौकरी की है हर विद्यालय में सैकड़ों लड़कियों और महिलाओं के साथ काम किया है और कर रहा हूँ ।हर जगह सबने मेरी तारीफ मेरे आगे और मेरे पीठ पीछे भी किया है।आज तक मेरा किसी से व्यक्तिगत विरोध नहीं रहा है और यदि रहा है तो मेरे तरफ से नहीं बल्कि अगले की तरफ से and I can't take the guarantee of anyone's behaviour and conduct but I can guarantee for mine. मैं मतभेदों को मनभेद नहीं बनाता और कोई बनाएँ तो मैं उसमें कुछ नहीं कर सकता ।
इतने दिनों में हर लड़की और महिला ने मेरी तारीफ ही की, लेकिन आज तक मुझे कोई लड़की या महिला मिली हो जिसने ये कहा हो कि अनुराग सर काश हमको भी आप जैसा हसबैण्ड मिल जाता, या किसी महिला ने ये कहा हो कि अनुराग सर काश मेरा भी पति आप जैसा होता "
सब मेरी बात बड़ी ध्यान से सुन रहे थे और खत्म करने के बाद एक अजीब सा सन्नाटा पूरे स्टाफरूम में पसरा हुआ था और सभी महिलाओं के चेहरे उड़े हुए थे।
जब किसी ने कुछ नहीं बोला और कोई प्रतिक्रिया दी तो मैंने मन ही मन में सोचा "अनुरगवा लगत ह ढेर हो गयल"
उन दिनों अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी का आन्दोलन अपने चरम पर था और हर जगह चर्चा का केंद्र था, ये अलग बात थी कि मेरी खुद की राय इस आन्दोलन को लेकर बहुत नाकारात्मक थी
फिर भी मैंने माहौल को हल्का करने के लिए उसका प्रयोग किया और कहा " मैडम इसमें आप लोगों का कोई दोष नहीं है।दरअसल माहौल ही कुछ ऐसा है जैसे अभी आपने देखा कि अन्ना के आंदोलन में पूरा देश भागा।किसी को हजारे, केजरीवाल, विश्वास और किरण बेदी के ईमानदारी और चरित्र पर कोई शक नहीं है, जो नहीं भागे उन्होंने तारीफ करके मोरल सपोर्ट प्रोवाईड किया । लेकिन उनमें से शायद ही कुछ ऐसे होंगे जो चाहते होंगे कि कोई दूसरा हजारे, केजरीवाल उनके घर में भी पैदा हो।मैडम सच्चाई सबको अच्छी लगती है, सब तारीफ करते हैं, लेकिन आत्मसात कोई नहीं करना चाहता ।"
फिर भी गंभीरता बनीं रही और सब एक -दूसरे का चेहरा देख रहे थे । मैंने सबसे माफी मांगी कि मेरी बात को अन्यथा न लें।
आज कभी कभार जब गाहे बजाहे किसी माध्यम से वो बात दिमाग में आ जाती है तो धीरे से एक मुस्कान चेहरे पर फैल जाती है।
"बेबाकी"

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