बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

दोगली देशी कुकुरिया अऊर विलाईती बोल-(अंतिम)


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कलास से निकल तो गए लेकिन पता नहीं काहे बहुत शांति लग रही थी। स्कूल से घर आकर मैं खूब मौज में था। जबर भोजन किए, खूब पान घुलाए और अगले दिन पहुँचे स्कूल। तिसरका घंटा था कक्षा ११ में तो पहुँचा कलास में। पहुँचे तो देखे कलऊतिया का चेहरा लकलका रहा था अऊर धनियवा बगले में खड़ा मुसकिया रही थी। कलास में घुसने के बाद हम डस्टर उठाकर ब्लैकबोर्ड मिटाने लगे अऊर टॉपिक का नाम लिख दिए। जैसे ही मूड़ी घुमाए थे वईसहीं कलऊतिया बोली " गुरूजी कल जहाँ खतम किए थे ओकरे आगे शुरू करें?"
हमहू उसको देखकर मुसकियाते हुए बोले " का बात है कलऊतिया आज बड़ा जोश में हो? रोके नहीं पा रही हो अपने को? अच्छा शुरू करो।" कलऊतिया खड़ी हुई अऊर बोली " गुरूजी कल हम कह रहे थे कि सेकुलरिज्म दोगली कुकुरिया है अऊर एक असंभव प्रोजेक्ट है। गुरूजी अल्पसंख्यकों को तेल लगाओ, बहुसंख्यकों को गरियाओ अऊर उनकरे धरम को सांप्रदायिक बताकर वोट बैंक की राजनीति करो। जेतना गरियाओगे बहुसंख्यकों को अऊर ओनके धरम को ओतना झऊवा भर भर के भोट बटोराएगा। गुरूदेव जब हमारे ईंहा religion नाम की चिड़िया पईदे नहीं हुई तो उसको यहाँ का धरम का बुझाएगा? ऊ तो वहीं का भाषा न बोलेगी। जो उसके religion को माने ऊ religious हो गया अऊर जो न माने ऊ anti-religious हो गया। हमरे ईंहा धर्म का सिद्धांत है जो बहुतै व्यापक है ई रिलीजन वाली बिदेशी कुकुरिया को नहीं समझ में आएगा। अपने ईहां 'एकम सत विप्रा बहुधा वदन्ति' का सिद्धांत हैं अऊर रिलीजन में ' ऊहे सत्य जवन हम वदन्ति' का सिद्धांत है मानोगे तो चैन से साँस लेने देंगे नहीं तो तलवार से टुकड़ा- टुकड़ा कटा जाओगे नहीं तो बम से उड़ा दिए जाओगे।"
कलऊतिया एतना बोली ही थी कि तब ले प्रिंसिपल साहिबा राऊंड पर आ गईं अऊर कलऊतिया की तेज आवाज सुनकर कलास के गेट के पास रूक गईं।
कलऊतिया का आवाज तेज होते जा रहा था अऊर चेहरा लाल तो रूक कर वो धनियवा की तरफ मुँह करके बोली " अरे धनियवा तनि बोतल क पानी दे बोलत बोलत पियास लग गयल ससुरा टॉपिकवा बहुत गरम है। जब बोले में एतना गर्मी फूँक रहा है तो देश हमार ७० बरिस से केतना गरमी झेला ए कुकुरन के चक्कर में।" प्रिंसिपल साहिबा कलास में घुस गईं अऊर बोलीं " What happened Mr. Anurag? Why Kalawati is angry and what is happening?" एतना में मँगरुआ ससुरा मुसकियाते हुए खड़ा हुआ अऊर बोला " Nothing much Ma'am. Actually we are having debate on the topic Secularism and Kalawati is putting her points against the topic and the explanation that is given in the book" प्रिंसिपल साहिबा बोलीं " I would also love to be the part of the debate and would like to hear Kalawati's explanation" एतना कहने के बाद मैडम पीछवां जाकर एक ठो खाली टेबुल-कुर्सी पर जगह ले लीं। हम मनेमन सोचे 'ले लोटा, गईल भईंस पानी में। ए मुँहफुकऊनी को भी अभिएं आना था।'
धनियवा पानी की बोतल उठाकर कलऊतिया के पास पहुँच गई अऊर बोतल खोलकर उसको पकड़ा दी तो कलऊतिया बोतल से पानी ढकारने लगी। एतने में धनियवा बोली " सही कहत हऊ बहिन ई दोगली कुकुरिया बहुत काटी है देश को। वसुधैव कुटुम्बकम् वाला हमार देश ए सेकुलरिज्म के ज्वाला में जर गया अजादी के बाद नहीं तो कहाँ पहुँचा होता आज हमरा देश।"
कलऊतिया पानी पीकर साँस लेकर सुस्ताने लगी अऊर फिर बोली " गुरूजी सबसे बड़का बात तो ई है कि हम लोग को एतना बरिस से इहे सब पढ़ाया जा रहा है? अकबर रोड, शाहजहाँ रोड, औरंगजेब रोड, किंगस्वे कैंप पता नहीं केतना रोड का पट्टा ए कुलहिन के नाम से कर दिया गया? नेता जी रोड, राणा सांगा, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, को कऊनो याद नहीं करता है काहे कि ई सब तो सेकुलर कुकुरिया के लिए तो आतंकवादी था? जो रक्षक था उसको भक्षक बना दिया अऊर जवन भक्षक थे उनकरा को रक्षक बनाकर देश का पट्टा कर दिया ओ कुलहिन के नाम पर। अपनी संस्कृति को असभ्य करार देकर बहरी से जो आक्रमण किया ऊ सभ्यता के भगवान बना दिए गए। गुरूजी ई कुल इतिहास अऊर राजनीतिशास्त्र की कितबिया को पहिले फुँकवाईए अऊर इतिहास को फिर से लिखवाईए। भारत विश्व गुरू रहा है तो घंटा हिलाकर नहीं रहा है एकर गौरवशाली इतिहास है। उस इतिहास के कुल पहलू को उजागर करना होगा। चाहे धार्मिक हो, राजनीतिक हो, आर्थिक हो, सांस्कृतिक, वैग्यानिक इत्यादि का इतिहास रहा हो सबको ध्यान देकर फिर से शिक्षा का अंग बनाना पड़ेगा। जब हम आज से ५००० बरिस पहिले एक उच्चतम सभ्यता के साथ रह रहे थे तो पूरा विश्व निपटने के बाद धोने का स्किल भी नहीं सीख पाया था। ससुरे चलें हैं हमको सभ्य बनाने।"
एतना में कलास पूरा मिलकर थपोड़ी पीटने लगा तो मैडम भी जोशियाए हुए बोलीं " well done Kalawati, nice arguments" अरे इसके बाद तो कलऊतिया का करेजा अऊर हरियर हो गया तो अऊर जोश में आते हुए बोली " सेकुलरिज्म-फेकुलरिज्म सब ढकोसला है। ई कभी जोड़ नहीं सकता है बल्कि तोड़ने में सबसे आगे रहता है काहे कि तोड़ना ही उसका लक्ष्य अऊर उद्देश्य है। पहिले तो फिर से किताब लिखा जाए अऊर जो दललवा दलाली करके पुरनका फर्जी इतिहास लिखा है ओ कुलहिन को दंड मिले अऊर देश का गलत इतिहास लिखने के अपराध में आर्थिक दंड मिले, देशद्रोही कहा जाए कुलहिन को। सेकुलरिज्म एक विलाईती कुकुरिया है जो बिदेशी भाषा ही जानती है अऊर वईसहीं भौंकेगी भी जिसका लक्ष्य तोड़ने के अलावा कुछ नांही है अऊर हम वसुधैव कुटुम्बकम् वाले हैं जिसका लक्ष्य जोड़ना है अऊर आज तक वही किया है ऊ। इसलिए वसुधैव कुटुम्बकम् अऊर सेकुलरिज्म विरोधाभाष है और इसलिए भारत के लिए यह असंभव प्रोजेक्ट है and my conclusion is that " Secularism is an impossible project"
एतना कहने के बाद कलऊतिया चुपा गई तो प्रिंसिपल साहिबा के साथ साथ पूरा कलास खड़ा हो गया अऊर जोर जार से हँसते हुए थपोड़ी पीटने लगा।हम तो पानी पानी हो गए। प्रिंसिपल साहिबा बोलीं " Mr Anurag you have taught your class very well and your students have develop ability to express themselves and debate on the topic. Well done Mr Anurag and Kalawati to you also" एतना कहते ही पूरा कलास जमकर थपोड़ी पीटने लगा तो हमको समझ में नहीं आ रहा था कि वह कलऊतिया के लिए थपोड़ी पीट रहा है कि हमरे लिए या दुनहू लोगों के लिए। हम मनेमन सोचे कि ' मैडम हम का बताएँ आपको कि डिबेट थोड़े न हो रहा था बल्कि आक्रमण हो रहा था हमरे ऊपर। पिछला दस कलास से हम कईसे झेले हैं आप नहीं बूझ सकिएगा। रोज घायल अऊर बेआबरू होकर इस कूचे से निकलते रहे हम।'
एतना में घंटा बज गया अऊर हम कलास से निकल आए लेकिन एगो शांति था कि चलो महाभारत खतम हुआ। आगे का महाभारत दूसरे कुरूक्षेत्र में लड़ा जाएगा कम से कम।

'बेबाकबनारसी'

दोगली देशी कुकुरिया अऊर विलाईती बोल-९ (ख)


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तुर्की का उदाहरण आप दे रहे हैं? गुरू जी पहिला बात ई है कि आप जो तुर्की के सेकुलरिज्म का बखान कर रहे हैं तो हम आपका फंडा किलियर कर देते हैं। कमाल अतातुर्क ने तुर्की के तथाकथित सेकुलरिज्म की नींव का पहिला ईंट रखा था। वहाँ की एक संस्था है जिसका नाम है 'दियानेट'(Diyanet), The Directorate for religious affairs जिसकी स्थापना अतातुर्क साहब ने की थी और इसका कार्य है धर्म के प्रभाव को चेक करके नियंत्रित करना। यदि सेकुलरिज्म की आपकी परिभाषा को लें जहाँ राज्य और धर्म का कोई संबंध नहीं होता है तो ओकरा हिसाब से तुर्की सेकुलर नहीं है।  पहिलका चीज कि गुरूजी जाकर तुर्की का हालत देखिए आज उनका सेकुलरिज्म खतरा में है।
गणतंत्र के शुरुआत दिनों से ही राज्य और मस्जिद एक दूसरे में बहुत घुले मिले हैं। हर मस्जिद का मालिक राज्य है, सभी इमाम राज्य कर्मचारी हैं और शुक्रवार के दिन पढ़ी जाने वाली पंक्तियों को सरकार द्वारा लिख कर बँटवाया जाता है।

प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के अनिवार्य धार्मिक पाठ्यक्रम भी राज्य निर्घारित करता है और सुन्नी इस्लाम के प्रारूप का समर्थन करता है जिससे अन्य धर्मों के अभिभावकों को परेशान होना पड़ता है। अन्य धर्मों के स्थलों को राज्य द्वारा कोई सहायता नहीं मिलता है जैसे 'दियानेट'के द्वारा मस्जिदों को मिलता है जो कि भेदभाव है।आपको मालूम है गुरूजी ई जो दियानेट है इसके करीब १००००० कर्मचारी हैं यह राज्य के अंदर एक छोटा राज्य के रूप में कार्य करता है। २०१३ में केंद्र सरकार के खर्चा में दियानेट का बजट 4.6 billion TL (Turkish Lira) से ऊपर रहा है और सोलहवे नंबर पर है।

Turkey’s non-secular secularism will continue to be used by anybody in power to suppress other groups in society. यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राईट्स ने कई बार आपत्ति की है लेकिन तुर्की अपने सेकुलरिज्म के संस्करण में कोई परिवर्तन नहीं करना चाहता है। पश्चिम का देश है और पश्चिमी परिभाषा को ही नहीं मानता है।

अभी जो हालात चल रहा है वह खुद ही गवाह है। Erdogan जो राष्ट्रपति हैं उन्होंने खूब प्रयोग किया तथाकथित सेकुलरिज्म का अपने धार्मिक और राजनीतिक स्वार्थ की रोटी सेंकने के लिए।
हमतो गुरूजी इहे कहेंगे Turkey does need a new constitution. It needs a constitution that finally gets rid off Turkey’s non-secular secularism, which will continue to be used by anybody in power to suppress other groups in society.
समझिए कि आदर्श सेकुलर राज्य जेकर उदाहरण कितबिया में दिया है ओकर स्थिति ई है। कवन मुँहझंऊसा, मुँहफुकऊना किताब लिखा है? ई राजनीतिक चिंतक हैं ससुरे अऊर अईसहीं सब पिछला ६०-६५ साल में ईहे पढ़ाया है न कि आज निरहू चच्चा के नाम पर विश्वविद्यालय जो है उसमें नारा लगता है " भारत तेरे टुकड़े होंगे ईंशा अल्लाह, ईंशा अल्लाह"। इस दोगली कुकुरिया को  'वसुधैव कुटुम्बकम्' नहीं देखाता है?
गुरू जी किताब ई कह रही है कि 'भारतीय सभ्यता का इतिहास दिखाता है कि इस तरह साथ-साथ रहना बिलकुल संभव है।' अरे तो बता रहे हैं गुरूजी कि रहना संभव सेकुलरिज्म के दोगलई सिद्धांत के कारण नहीं हो पाया है बल्कि 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के कारण और तो और इसके खातिर कितना बलिदान हुआ है। कितना खून बहा है हमारा, कितना लाश गिरा है, मिट्टी लाल हुई है। इस देश का महानता है गुरूजी कि आज तक किसी पर कोई धर्म थोपा नहीं गया है क्योंकि यहाँ धर्म नाम की कोई संस्था रहबे नहीं किया है, यहाँ तो आत्मिक, मानसिक रूप से जीवनशैली ही अध्यात्मिक रहा है। लोग कहता है कि यहाँ जो आया वह यहीं का रहकर रह गया। अरे गुरूदेव घंटा रह गया, मजबूरी था नहीं करता तो एतना बड़ा साम्राज्य कईसे खड़ा करता सब। अईसा धर्म था ओ कुलहिन का कि अपने देश में पैर रखने का ही जमीन नहीं मिला। 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का भाग मनावें कि दो गज जमीन मिल गया आखिरी में सुतने को नहीं तो कहीं अपसे में लड़-कट कर मर जाते अऊर चील- कऊवा खाकर weight loss के लिए आसन करते। देख रहे हैं न पश्चिम वाला बहुत सेकुलरिज्म-सेकुलरिज्म टेरा जिनगी भर अऊर खूब मलाई काटा, अब जब यूरोप अऊर अमेरिका के हर शहर में सब रोज पटाखा छोड़ता है तो सेकुलरिज्म भित्तर घुस जाता है अऊर गुरूजी हँसी से पेट दुखाने लगता है जब दोगलवा उसको 'आतंकवाद' कहता है। फूँक दे अइसे सेकुलरिज्म के गुरूजी।"

कलऊतिया एतना बोली ही थी कि पूरा कलास ठहाका मारकर हँस दिया अऊर चिल्लाने लगा ' वाह रे कलऊतिया, वाह रे कलऊतिया गजबे चीर दी सेकुलरिज्म का '। तब तक घंटा बज गया तो कलऊतिया बोली ' गुरूजी कल आगे हम पूरा ब्याख्या करके इस पाठ का पर्दा उखाड़ कर फूँक देंगे।" हमहू कुछ नहीं बोले अऊर मूड़ी हिलाकर अपना सामान उठाकर बाहर चल दिए लेकिन मंथन के लिए मजबूर तो कलऊतिया कर ही दी थी।

'बेबाकबनारसी'

दोगली देशी कुकुरिया अऊर विलाईती बोल-९ क


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कलास से तो निकल कर बहरे आ तो गए, पानी भी ढकार लिए लेकिन जला बहुत जबर था। मिर्च नहीं लगा था बल्कि लग रहा था कि कऊनो पेट्रोल छुआया हो। बर्नॉल का जरूरत था। बड़ी दिमाग में खलबली मचा हुआ था। कऊनो काम में मन भी नहीं लग रहा था। कईसे भी दिन भर स्कूल में काट तो दिए लेकिन घरे पहुँचे तो बिना कुछ खाए पिए उपवास ही सुत गए। शाम को चाय बनाए अऊर मारे गुस्सा जाकर पान के दुकान पर खूब सारा पान बंधवा लिए। एक ठो पान घुलाए अऊर दुकान पर उपस्थित लोगों से सामाजिक मुद्दों पर बहस हुई। कमरा पर लऊट कर आए तो फिर एक कप चाय बनाए अऊर पीने के बाद पान कचरे। संगीत सुनना शुरू किए तो कलऊतिया का सुबह का राग भैरवी दिमाग में बजने लगा। बिसमिल्लाह खाँ साहब,भीमसेन जोशी जी, किशोरी अमोणकर जी की कि क्या बिसात कि दिमाग में टन-टन कर रहे कलऊतिया के राग भैरवी को शांत कर दें। खैर खाना बनाए लेकिन खाने का मूड नहीं हुआ। कलऊतिया का एक-एक शब्द हथौड़ा कि तरह करेजा अऊर ऊपर वाले डिपार्टमेंट में चोट कर रहा था। जब ढेर घायल हो जाते थे तो बकरी नियर पान कचरते थे बनारसी की तरह घुल ही नहीं रहा था चाहे कितना कोशिश कर रहे थे।
अगला दिन पहुँचे कक्षा ११ में तो सोचे कि जाते ही पहिले कलऊतिया अऊर धनियवा से पूछ लेंगे कि अऊर उदाहरण देना है तो दे ले। ब्लैकबोर्ड मिटाने के बाद टॉपिक लिखे अऊर कलऊतिया को बोले " Yes Kalawati and Dhaniya yesterday you were giving lot of examples against Secularism. Do you need to give few more examples or should I proceed with other criticism and put down the curtain of this chapter?"
कलऊतिया खड़ी हुई फिर दहाड़ते हुए बोली " का गुरूजी कल वाले से काम नहीं चला का? कम पड़ गया का? सेकुलरवन कि तरह आप भी बड़ा थेथर हैं। लात खाकर झाड़ कर खड़ा हो जाते हैं। हम तो वसुधैव कुटुम्बकम् वाले हैं जाली टोपी अऊर पलस साईन वाले नहीं लेकिन ई मत बूझिएगा कि आप अँग्रेजी में कुच्छो किटिर पिटिर किए तो हम intolerant हो जाएँगे। आप आगे गाड़ी बढ़ाकर इस चैप्टर को मंजिल तक पहुँचाइए।"
कलऊतिया के आगाज से हमको तो अंजाम समझ में आ गया तो हम सोचे कि काहे नहीं किसी को खड़ा करके पढ़वा देते हैं अऊर कलऊतिया या धनियवा को बोल देते हैं कि ब्याख्या कर दे। हमहू घायल होने से बच जाएँगे अऊर चैप्टर भी खत्म हो जाएगा। हम बोले कलऊतिया की तरफ देखकर " Kalawati why don't you explain the last criticism and end the chapter. I will ask someone to stand up and read for you. Yes Bisheshar you stand up and read the next criticism."
कलऊतिया मूड़ी हिलाकर हामी भर दी अऊर हम मनेमन बहुत खुश हुए तब तक बिसेसरवा खड़ा हुआ अऊर पढ़ने लगा " A final, cynical criticism might be this: Secularism cannot work because it tries to do much, to find out a solution to an intractable. What is this problem? People with deep religious differences will never live together in peace."
एतना पढ़ने के बाद बिसेसरवा बईठ गया तो कलऊतिया बोली " हे बिसेसरा अगवां जवन कितबिया में सेकुलरवा कुल ब्याख्या करके इस आलोचना को गलत सिद्ध किए हैं, ऊ कौन पढ़ेगा? टेंडर निकालना पड़ेगा कि केराया पर लाकर पढ़वाना पड़ेगा? चल बुड़बक अगवां पढ़।" बिसेसरवा खड़ा हुआ अऊर पढ़ने लगा " हमारे अनुभव बताते हैं कि यह दावा गलत है। भारतीय सभ्यता का इतिहास दिखाता है कि इस तरह साथ-साथ रहना बिलकुल संभव है। अन्यत्र भी ऐसा हुआ है। ऑटोमन साम्राज्य इसका प्रेरणादाई उदाहरण है। लेकिन अब आलोचक कह सकते हैं क सह-अस्तित्व वस्तुतः असमानता की स्थितियों में ही संभव है। श्रेणीबद्धता आधारित प्रणाली में हर कोई जगह पा सकता था। उनका दावा है कि आज ऐसा नहीं हो सकता है क्योंकि अब समानता लगातार प्रभावी सांस्कृतिक मूल्य बनती जा रही है।
इस आलोचना का जवाब दूसरी तरह से दिया जा सकता है। एक असंभव परियोजना का अनुसरण नहीं वरन भारतीय धर्मनिर्पेक्षता भविष्य की दुनिया का प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है। भारत में महान प्रयोग किया जा रहा है जिसे समूची दुनिया बहुत पैनी निगाहों और बड़े चाव से देख रही है। ऐसा कहना ठीक भी है। अतीत में उपनिवेश रहे देशों से लोग अब पश्चिम के मुल्कों में आप्रवास कर रहे हैं। वैश्वीकरण में तेजी आने के साथ पूरे विश्व में लोगों की गतिशीलता अभूतपूर्व ढंग से बढ़ी है। यूरोप और अमेरिका तथा मध्य-पूर्व के कुछ हिस्से अब धर्म और संस्कृति की विविधता के लिहाज से भारत जैसा दिखने लगे हैं। ये समाज भारतीय प्रयोग के भविष्य का गहरी रूचि के साथ अवलोकन कर रहे हैं।"
इतना कहने के बाद बिसेसरवा बईठ गया अऊर कलऊतिया खड़ी हुई अऊर बोलना शुरू की और कहा " गुरूजी सबसे पहिला बात ई है कि यह सेकुलरिज्म का आलोचना बिलकुल सही है। इसमें कोई लाग-लपेट नहीं है। ई तो हमरे हिसाब से universal truth है। यह एक असंभावी परियोजना है। पश्चिम से आयातित है जो कि भारत जैसे देशों में 'सांस्कृतिक प्रभुत्व' के द्वारा आर्थिक साम्राज्य स्थापित करने का तरीका है। गुरूजी कितबिया कह रही है कि 'भारतीय सभ्यता का इतिहास दिखाता है कि इस तरह साथ-साथ रहना बिलकुल संभव है।' घंटा इतिहास कऊने इतिहास का बात कर रहे हैं आप? ऊहे कुल जो वमिया, कमिया अऊर तथाकथित लिबरलवा लिखा है? सभ्यता का इतिहास जो आप कह रहे हैं उस सभ्यता ने बहुत समझौते किए हैं, माटी लाल हुई है गुरूजी। ई कौन लिखेगा गुरूजी?

जारी.................

'बेबाकबनारसी'

दोगली देशी कुकुरिया अऊर विलाईती बोल-८ (ख)


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दोगली कुकुरिया का असली दोगलापन तो तब सामने आया खुलकर जब अब्बू की तरफ पियार ओवरफ्लो होवे लगा तो तलाकशुदा अम्मी भी अँखिया की किरकिरी बनने लगी। शाहबानो केस दोगलई का पीक था गुरूदेव अऊर एतना कि सुप्रीम कोर्ट से भी आर-पार का फैसला करने के लिए उसके द्वारा दिए हुए फैसले का गला दबा दिया जब कुकुरिया के चचा लोग चिल्लाने लगे कि सुप्रीम कोर्ट हमरे शांति वाले धर्म में बिला वजह अँगुरिया रहा है। राजू भाई जोशियाए कि सुप्रीम कोर्ट की का मजाल है कि अँगुरी उठा दे, अँगुरियाने का बात तो छोड़ दीजिए। अपने भाई लोग का बेईज्जती कईसे बर्दाश्त होता तो संविधान में अँगुरी करके चचा लोगों की ईद मुबारक करा दी।
वोट बैंक के चक्कर में ईद तो मनवा दिए चचा लोगों का लेकिन गड़बड़ हो गया। ईधर होली-दिवाली मनाने वाले 'काफिर' मुँह फुला लिए। अब तो अँगुरी का दिशा बदल रहा था अऊर लगने लगा कि अपने अंदर ही न घुस जाए। त राजू चचा को लगने लगा कि कहीं बालटी वाले वोट बैंक के चक्कर में पूरा टंकी न खिसक जाए। राजू चचा को पसीना आ गया तो बोले कि 'ताला खोलो ससुरों! रामजी को कैद मे रखे हो, इतना जुल्म। ताला खुला तो 'काफिरों' ने राम नवमी मनाई। 'काफिरों' ने राम नवमी मनाई तो चचा लोग गुस्सा होकर मुँहवा फुला लिए।  मुद्दा तो हिन्दू-मुसलमानों के बीच का विवादित मुद्दा था, अऊर वोट बैंक खिसकने का डर हो गया। अब का करें? तब चेला लोग लगा डफली बजावे एक ठे नया शिगूफा छोड़कर 'हिंदू आतंकवाद' का। आप जनते हैं कि कांग्रेस को baptism की तरह 'सेकुलराईज' करके सेकुलरिज्म का पट्टा अऊर देख-रेख का जिम्मेदारी तो उसको दे ही दिया गया था तो सेकुलरिज्म अऊर लोकतंत्र का बलात्कार हो या भरसांई में जाए ऊ तो उसकी जागीर हईए है। सुप्रीम कोर्ट-सोर्ट का कवन औकात है कि आँख तरेरे, अँखिया नहीं निकाल दिया जाएगा?
लेकिन गुरूजी यह तथ्यात्मक बात तो हमको कहने पड़ेगा कि मजहबी कारणों के चलते देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खाली शाहबानों मामले में ही नहीं बदला गया, बल्कि ई काम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जे मामले में 1981 में ही किया जा चुका है।

साल 1968 में अज़ीज़ बाशा के मामले में फैसला देते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं दिया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को 1981 में संविधान संशोधन विधेयक के जरिये पलट दिया गया।
एतना कहने के बाद कलऊतिया दस सेकेंड के लिए हमको आँख तरेर कर देखी अऊर बोली " गुरू जी अऊर दें कि अऊर तीखा वाला चाहिए?गुरूदेव अऊर प्रूफ दें का कि एतने से काम चल जाएगा? वईसे सुने हैं कि आपको तीखा बहुत पसंद है।" इतना कहकर कलऊतिया धनियवा की तरफ देखकर बहुत गंदा तरह से मुसकियाई तो करेजा हमारा धधकने लगा लेकिन हम बोल का सकते थे  हम नींचे शुतरुर्मुघ टाईप देखने लगे तो कलऊतिया अपनी जगह से निकल कर सीधे मेरे टेबल के पास आकर मेरे बोतल से पानी ढकार गई। सीट पर लउटने पर अपने बांही से मुँह पोछते हुए बोली  "गुरूदेव आप को लग रहा होगा कि कलऊतिया एक धरम के पीछे नहा-धोके पड़ गई है तो आप गलत हैं। गुरूदेव एक ठो राज्य है देश में जहाँ पाँच ठो नदी बहती है, जानते हैं उसका नाम है पंजाब। ऊँहा उन लोगों का बहुत बड़ा मंदिर है स्वर्ण मंदिर। मालूम है आपको एक ठो ऑपरेशन किया था सरकार ने जिसका नाम था 'ऑपरेशन ब्लू स्टार'। जानते हैं ऊ कऊनो मेडिकल वाला ऑपरेशन नहीं था, कोडवर्ड था सरकार का अपनी कार्यवाई के लिए। स्वंर्ण मंदिर को आतंकवादी कब्जिया लिया था कुल। ऊ कऊनो अलकायदा अऊर आईयस का आतंकवादी नहीं था बल्कि प्रेम से रहने वाला भारतीय सिख समुदाय का था।.  जानते हैं ऊहे भिंडरावाले जो पाकिस्तान के तर्ज पर खालिस्तान का माँग कर रहा था सिख समुदाय के लिए अलग देश। गुरूजी जानते हैं भिंडरावाले का औकात एतना कईसे बढ़ा? इहे सेकुलर दोगलवा कुल जिम्मेदार हैं। जानते हैं इनिरा माई को पचा ही नहीं कि इतने मालदार राज्य में हमारा सरकार कईसे नहीं है? अईसा करो कि धर्म के नाम पर बाँट दो। राजू भाई के छोटे भाई संजू चचा को भी माई का चिंता देखा नहीं जा रहा था। तो संजू भाई ने मोहड़ा संभाला काहे कि राजू भाई ईटली की हवा में देश को उड़ाने की बेवस्था कर रहे थे। अकालियों के आगे इन लोगों का दाल तो गलता नहीं , तो किसी को तईयार करो इनके बीच में से ही अऊर इनको तोड़ दो। 1977 के चुनाव में अकाली-जनता का गठबंधन, मुखमंत्री जैल सिंह को पटकनी देकर सत्ता में आई तो कांग्रेस के पेट में बहुत तेज दरद हुआ कि बिना 'वोवेरॉन' इंजेक्सन से काम होबे नहीं करता। अब आदमी कौन सा हो तो कई लोगों को देखा गया। गुरूजी इंटरभ्यू भी लिया गया था अऊर दू लोग सेलेक्ट हुए। भिंडरावाले को सेलेक्ट किया गया काहे कि दुसरका ओतना तगड़ा एमजी का गोली नहीं था कि पेट का दरद सही होता। संजू भाई के तेल लगाने वाले तेली दोस्त थे और अभी भी हैं जो कमल के नाथ हैं ऊ डाकिया का काम करते थे। पूरा चारा भिंडरावाले को पहुँचाते थे ताकि दरद कम हो अऊर अकाली-जनता की सरकार के नींचे से कुर्सी खींच लिया जाए। लेकिन हो गया उलट, भिंडरावाले के अंदर पाकिस्तान को एक सॉफ्ट हथियार मिला तो पाकिस्तान हथियार सप्लाई करने लगा। ऊँगली करने गए थे उँगली ने दिशा बदल ली तब तक संजू भाई चल दिए अऊर 'फटा पोस्टर निकला हीरो' टाईप राजू भाई आ गए माई की सेवा में। भिंडरावाले को खूब चारा मिला बाहर अऊर भित्तर से दूनों तरफ से तो लगा सेकुलरवन का ही गला दबाने। अब रोग बढ़ गया था तो ऑपरेशन करना मजबूरी हो गया तो हुआ 'ऑपरेशन ब्लू-स्टार' जिसका नतीजा हुआ इंदिरा जी का हत्या। राजू भाई मजबूर तो आना पड़ा मैदान में। देखिए सेकुलरिज्म को कि मारे गए नाक के नींचे ३००० सिख। पूरा देश में सेकुलरिज्म अपना संदेश दिया सिखों को।"
इतना बोलने के बाद कलऊतिया हमको देखी गुस्सा से लाल होकर अऊर आगे बोली " गुरूजी इसी तरह से छोटे- छोटे कई उदाहरण हैं जो देश के कई भागों में हुए। तनि मामला के तह में जाकर देखिए बहुत सारा उदाहरण मिलेगा गुरूजी। सेकुलरिज्म ने आज तक खाली तोड़ने का काम किया है, जोड़ने के लिए तो बनाया ही नहीं है इसे"
हम तो गूँग टाईप चुपचाप सुन रहे थे अऊर जैसे कलऊतिया अपनी जगह पर बैठी वईसे ही घंटा बज गया। नौकरी था नहीं तो हम भी कह देते ' तेरी गलियों में रखेंगे ना कदम आज के बाद' कहकर निकले होते। पूरा कलास जमकर बहुत तेज तेज ताली अऊर सीटी बजाने लगा तो हम भी बोतल अऊर किताब उठाकर बाहर आकर स्टाफ रूम में जाकर दू बोतल पानी ढकार लिए। भभा रहा था बड़ी तेज, लेकिन का करते अऊर का कहते।

'बेबाकबनारसी