बुधवार, 2 दिसंबर 2015

Parasitism

एक दिन हमरा एक ठो शिष्य मंगरुआ बहुते खुनसाया हुआ हमरे पास आया।अँखिया से लोर भी चुआ रहा था।पढ़ने में गदाईये टाइप था लेकिन करेजा का बहुत साफ अऊर बेबाक टाइप था।हम पूछे 'का हुआ रे मँगरुआ? काहे तुम्हरे आँख में कोशी नदी नियर बाढ़ आया हुआ है?'
बोला कि 'गुरुजी ऊ जीव विज्ञान वाली मैडम बहुत मारी हैं अऊर बहुत फूहर-फूहर बोली हैं भर कलास के आगे। कह रहीं थी कि हमारे माई-बाऊ को भी बुलाएंगी।माई-बाऊ आएँगे तो बहुते बुरा हो जाएगा।'
हम पूछे कि 'एतना का हो गया कि मैडम इतनी असहिष्णु हो गईं हैं अऊर तुम्हारे पीछे कसम खाकर पड़ गई हैं?'
मगरुआ बोला 'गुरुजी टेस्ट हुआ था अऊर हम उसमें फेल हो गए हैं'
हम बोले 'अरे बुड़बक पढ़ेंगा नहीं तो फेल होबै न करेगा?'
'अरे गुरुदेव इस बेर तो हम जम के मेहनत किए थे लेकिन पता नहीं मैडम अपनी ललिता पवार टाइप सास की तरह क्यों व्यवहार करती हैं मेरे साथ। कुछहु लिखो काटकर अंडा दे देती हैं जईसे कि हमको अंडा देकर उनका हिया जुड़ा जाएगा' मँगरुआ बोला।
हम कहे 'अबे मँगरुआ अईसा का आया था अऊर तुम का लिखकर आए कि मैडम अपनी सास का गुस्सा तुम पर उलट दीं?' मँगरुआ बोला 'गुरुजी आपको इहां का बताएँ, आप खुदै चलकर देख लीजिए कि हम का लिखे हैं अऊर मैडम कईसे रेत दीं हमको'।
हम बोले कि चल मँगरुआ देखते हैं लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि मूड़ी अपना गोत कर रखना काहे कि जनबै करते हो कि मैडम खुर्राट टाइप हैं अऊर मैडम लोग से थोड़ा हम डेराते हैं अऊर कम बोलते हैं लेकिन सत्य का साथ देते हैं। अऊर तो अऊर सही बताएँ जीव विज्ञान वाली मैडम अइसी जीव हैं जिनका विज्ञान आज ले हमारे माथा में नहीं घुसा।हम चल दिए मँगरुआ के पीछे-पीछे अऊर मैडम के पास पहुँच गए। मैडम से हम बहुत विनम्रता से पूछे ' What happened Maam? Why Mangaruwa is so much upset? He is very scared and is crying a lot'
मैडम बोलीं 'Mr Singh! What rubbish he wrote in his paper? There was a question in paper. What is parasite? Explain with the help of examples its features. And you know what he has written?'
हमको समझ में आ गया कि जरूर ससुरा कुछ अंड-बंड लिखा होगा। हम मँगरुआ को डाँटते हुए बोले 'What Madam is saying? You have written nonsense in the paper. And when you will write bullshit then you will fail only.'
मैंने उन वैज्ञानिक जीव से पूछा ' Could you please read what he wrote?'
मैडम ने कहा 'Yes Sir, I will read for you. He wrote,Parasites are plants or animals that live on, or in, another organism  (the host ), getting their nutrients from that host.'
मैंने कहा ' Madam though I don't teach biology but I know little bit. I think he is absolutely right. You could have given him marks for this.' मैडम ने थोड़ा अपने बीपी को ऊपर करते हुए और गले की विंडपाईप पर जोर लगाते हुए और थोड़ा सा ऑक्सीजन की मात्रा को अपनी नासिका में बढ़ाते हुए कहा "Sir I have already given marks for this but what he wrote as examples and explanation he gave, I gave him zero for that and I know he wrote that explanation under your influence.'
एक तो हम अईसहीं बिज्ञान से डेराते हैं अऊर ऊपर से ऐसा जीव हो सामने तो अपना ही  मनोविज्ञान गड़बड़ाने लगता है। मैडम उधर वाईब्रेट कर रही थीं गुस्सा से अऊर उधर मँगरूआ ऑस्सीलेट करने लगा तो हम हार्मोनिक मोड में आ गए नहीं तो दूनों सर्कुलर मोड में आ जाएँगे। मैडम से मैंने मामले को ठंडा करने के लिए कहा तो मैडम तो पूरा हीटिंग मोड में आ गईं। उन्होंने कहा 'No, Mr Singh let me read it for you. He is your favourite student and you came to favour him and take his side.' मैडम को समझाते हुए कहा 'Leave it Maam . Be cool and calm.'
मैडम ने कहा देखिए parasites के गुण क्या लिखा है ', लेकिन मैंने तुरंत मैडम से कहा 'मैडम थोड़ा हिन्दी में बांचिएगा तो हमको समझ में ठीक से आएगा काहे कि खुनवा में उहे दऊड़ रहा है। अंग्रेजी ज्यादा देर तक सुन नहीं पाता हूँ कनवा भभाने लगता है अऊर धुअँटने लगता है। मैडम ने समझते हुए मुझे पहला गुण सुनाने लगीं -
1. The parasite should have high searching capacity of host and utilize the host.
मतलब कि परजीवी के पास तीव्र क्षमता होती है अपने पोशी को खोजने और उसका लाभ लेने की। और व्याख्या आपके शिष्य ने लिखा है 'कि जैसे भारत के आजाद होने के बाद देश पूरा परजीवियों के हाथ में आ गया। राजनेता, साहित्यकार, इतिहासकार, मीडिया इत्यादि हर क्षेत्र में परजीवियों का बोलबाला हो गया।
2. It should be fairly host specific in feeding rather than polyphagous i.e. restriction in feeding habit to a relatively few species. This implies high degree of adaptation.
मतलब कि परजीवी में एक अद्भुत कला होती है और वह अपना काम निकालने के लिए बहुत ही आसानी से संयोजित हो जाते हैं। ऊपर बताए हुए परजीवियों में गजब की संयोजन क्षमता होती है। अपना चारा(पद,गरिमा,पुरस्कार इत्यादि) के खातिर इन परजीवियों ने अपने पेशे के सिद्धांतों एवं मूल्यों से जमकर समझौता किया। इनका चारे का जुगाड़ पूर्णतः अपने आकाओं की दैवीय छवि बनाने एवं गढ़ने पर निर्भर करती है। इतिहासकारों ने फर्जियों को ऐतिहासिक बना दिया,साहित्यकारों ने साहित्य लिखकर महिमामंडित किया, कलाकारों ने अभिनय करके और जो वाकई में ऐतिहासिक थे और डिजर्व करते थे या तो उनको दरकिनार किया गया या तो विलेन बना दिया गया।मीडिया ने खूब झाल मजीरा बजाकर खूब गुणगान किया और कई सड़क छाप पत्रकार आज कई चैनलों के CEO बन बैठे हैं।जैसे क्लीनिक में काम करने वाला कंपाऊंडर खुद क्लीनिक खोलकर अपनी दुकान चलाने लगता है। वैसे ही ये सब परजीवी अपनी-अपनी क्लीनिक खोलकर मठाधीस हो गए।
3. Parasites increase their own fitness by exploiting hosts for resources necessary for their survival, e.g. food, water, heat, habitat, and transmission.
मतलब कि परजीवी अपनी तंदुरुस्ती की खातिर और चारा की खातिर पोशी का जमकर दोहन करते हैं। जैसे कि भारत में ऊपर बताए गए परजीवी अपने शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं राजनीतिक तंदुरुस्ती की खातिर राष्ट्र का दोहन करते हैं। पद, धन, सत्ता, आधिपत्य इत्यादि इनके चारे हैं।
4. Parasites reduce host biological fitness by general or specialized pathology, such asparasitic castration and impairment of secondary sex characteristics, to the modification of host behavior.
मतलब की परजीवी अपने स्वार्थ के लिए अपने पोशी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है और भीतर ही भीतर उसको खोखला करता है और पोशी के अंदर नए नकारात्मक लक्षण विकसित होने लगते हैं जिनको वह अपने आचरण में प्रदर्शित करने लगता है।
इसकी व्याख्या इसप्रकार मँगरुआ ने की है। भारत स्वतंत्रता के पश्चात जिस जींर्ण-शींर्ण अवस्था में छोड़ गए थे उसके बावजूद भी भारत के अंदर अदम्य क्षमता थी कि वह फिर से अपने को पुनः स्थापित कर सकता था क्योंकि भारतीय सभ्यता की जड़ें बहुत मजबूत रही हैं लेकिन इन परजीवियों ने भारत की सभ्यता,संस्कृति और मूल्यों की जड़ों को हिलाना शुरू किया। नफरत, भ्रष्टाचार, व्यभिचार, शोषण, धार्मिक उन्माद, हिंसा,भाई- भतीजावाद, रक्तपात, वैमनस्य इत्यादि की भावना इस तरह से स्थापित किया कि आज अकर्मणयता और यह सब मूल्य लोकाचार हो गए हैं। सही तरीके और मेहनत से कोई कुछ पाना ही नहीं चाहता है, दूसरे का गला भी कट जाए लेकिन अपना एक बाल भी नहीं टूटने चाहिए।
मैडम इतना बोली ही थीं कि मैंने उनको बीच में ही काटकर कहा ' मैडम छोड़ दीजिए।मुझे समझ में आ गया है कि मँगरुआ आगे का लिखा होगा।'
लेकिन मैडम गुस्से से खून की तरह लाल होते हुए बोलीं ' No Mr. Singh, listen further. Don't have courage to listen what your favourite student has written. You know his qualities and level very well then also you came to me and you are challenging me and my competency.'
मैंने तुरंत मामले की गंभीरता और नजाकत   समझते हुए तुरंत कहा ' नहीं मैडम, मैं बकलोल आदमी आपकी competency challenge करूँगा। मैडम आपकी competency चेक करने के लिए competent भी होना पड़ेगा और बहुत मजबूत कलेजा चाहिए और मेरे अंदर दुनहू नहीं है। मैं तो केवल इस लिए आ गया क्योंकि मँगरुआ भोकर-भोकरके रो रहा था अऊर कह रहा था कि बहुत मेहनत करके पढ़ा था इस बेर। एतना रोते हुए आज ले हम उसको नहीं देखे हैं'। फिर मैं मँगरुआ के तरफ पलट कर उसको गुर्राते हुए बोला 'You fool. What do you think of yourself, that you are brilliant and you try to behave like a biologist.' एक तो ससुर अंड का बंड लिखते हो अऊर ऊपर से बुलुक्का फाड़ कर भोकरके रोते हो। मैडम के सामने मेरी इज्जत उतार दिया तुम।भाग जाओ इंहा से अब। मैडम बहुत इनटेलिजेंट हैं तुमको बुझाता नहीं है। अपने नियर समझ रक्खा है?'
मँगरुआ तुरंत रोते हुए बहुत गुस्से से वहाँ से निकल गया और फिर मैंने मैडम से कहा 'मैडम बुरा मत मानिएगा तो एगो बात बोलें?' मैडम ने बिंदु टाइप मुँह बिचकाते हुए बोलीं  'ठीक है बोलिए'।
'मैडम भले मँगरुआ आपके विज्ञान के हिसाब से भले अंड-बंड लिखा है लेकिन मेरे मनोविज्ञान के हिसाब से बिलकुले सही लिखा है। मैडम आप भले ओकरा को गदहा कहिए लेकिन हमरे हिसाब से ऊ बहुत तेज लईका है अऊर शायद उस जीव से भी तेज जो आपके जीव विज्ञान में पूरा नंबर पाया है। उसका skill देखिए मैडम केतना सुंदर ढंग से inter-disciplinary skill का उदाहरण प्रस्तुत किया है उसने। मैं खुदै आपसे यह पूछना चाहूँगा कि क्या parasite जानवरों में ही हो सकते हैं।मनुष्य क्या parasitic लक्षणों को प्रदर्शित नहीं कर सकता है या करता है? मँगरुआ ने जो explanation दिया है मुझे तो एकदम ही सही लगता है। मनुष्य भी तो एक जीव है और भारत में जिन परिजीवियों का नाम मँगरुआ लिया ऊ सब भी दूसरे जीवों का हक मारकर, लोगों के बीच उन्माद बढ़ाकर देश को अस्वस्थ ही तो कर रहे हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त होकर और भाई-भतीजावाद को प्रश्रत देकर उन्होंने अपने जैसे परजीवियों के प्रजनन की प्रवृत्ति को ही देशाचरण बनाया है। इन सब प्रवृत्तियों के कारण भारतीय सभ्यता और संस्कृति क्या अपना स्वरूप नहीं बदल रही है? चोरी, दलाली, हिंसा, नग्नता, तिरस्कार, भ्रष्टाचार, वैमनस्य इत्यादि भारतीय जनमानस  के लक्षण बन गए हैं और जो हकदार हैं इस देश की सभ्यता, संस्कृति और मूल्यों के वाहक हैं वह दरकिनार कर दिए गए या उन लोगों ने भी परिस्थितियों के सामने घुटने टेक दिए और समझौता कर लिया। आप उन सबको परजीवी नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगी? मैडम try to be tolerant and try to think something out of the box also and don't behave like a parasite.'
इतना कहते ही मैडम फुंकारने लगीं और तमतमाते हुए, पैर पटकते हुए स्टाफरूम की तरफ चल दीं।
बाह रे मँगरुआ बाह! तोर भविष्य बड़ा उज्ज्वल लऊकत ह हमके। जीव-वैज्ञानिक भले ना बन पईबे लेकिन राजनीति-वैज्ञानिक जरूर बनबे। भोले बाबा विश्वनाथ कृपा बनाएँ रखें हमेशा तोहरे ऊपर।
                                             
'बेबाकी'