मंगलवार, 7 जुलाई 2015

जिंदगी भी हमें आजमाती रही और हम भी उसे आजमाते रहे ५

अब बहन को संदेह हो गया था कि मैं नौकरी छोड़ कर बैठा हुआ हूँ।मुझे अब इस बात की सावधानी रखनी थी कि उसका संदेह यकीन में बदल जाए। फिर मैं इस उधेड़बुन में लग गया कि ऐसा क्या किया जाए कि ऐसी स्थिति आए।मैंने सोचा कि अब मुझे सबसे कट कर नहीं रहना है, सबसे हँस बोल कर बात करनी है।लेकिन ऐसी स्थिति में सामान्य होकर नाटक करना बड़ी टेढ़ी खीर था।नौकरी की तो तनिक भी चिंता नहीं थी, असली समस्या तो वो दुर्घटना थी जिसको मैं स्वीकार नहीं कर पा रहा था और जिसके वजह से मैं विक्षिप्त सा हो गया था।मैंने सबसे बात करना शुरू किया।दूसरी बात ये थी कि पैसे बहुत तेजी से खत्म हो रहे थे और मैंने तय किया चाहे मुझे पैसे उधार ही क्यों लेना पड़े पर सबकी फरमाईश पूरी करूँगा।भाई को पैसे समय से भेजा, दिल्ली वाले मकान का किराया मकान मालिक के खाते में जमा किया।इसी तरह दिन कट रहे थे और मेरे बनारस वाले विद्यालय की गर्मी की छुट्टियां खत्म हो चुकी थीं।वहाँ के मित्रों की चर्चा प्रिसिपल मैडम से हुई होगी किसी बात को लेकर जिसमें उन्होंने मेरा जिक्र किया होगा कि मैं मिलने गया था उनसे।उन्ही मित्रों में से किसी ने उनको बताया होगा कि मैं बिना नौकरी के हूँ।
अगले दिन ही मैडम का फोन गया और उन्होंने कहा
"अनुराग व्हेन वी मेट यू डिड नॉट टेल मी दैट यू आर विदाउट जॉब फ्रॉम लास्ट टू मंथ्स. यू हैव ह्यूज  रिस्पांसिबिलिटीज ऑन योर शोल्डर्स टू बी कैरीड आउट.हाउ यू आर सर्वाइविंग विदाउट जॉब.आई आफर्ड यू अ  जॉब एंड वास् रेडी टू साइन अपॉइंटमेंट लेटर फॉर यू एंड इन दिस कंडीशन यू डिनाइड इट."
मैंने उनसे कहा कि  "मैम आई टोल्ड यू दैट आई डोंट  वांट  टू  रिटर्न  वाराणसी ऐट प्रेजेंट  एंड  व्हेनेवेर आई विल  बी  इन  मूड  टू  रिटर्न  बैक  टू  वाराणसी आई विल  इन्फॉर्म  यू  फर्स्ट"
उन्होंने कहा कि  अनुराग यू नीड टू टेक डिसीजन्स ऑन द बेसिस ऑफ़ योर कंडीशंस एंड  सरकमस्टांसेस. ट्राई टू बी प्रैक्टिकल एंड थिंक रैशनली.वाईल रिटर्निंग बैक टू डेल्ही यू कम एंड मीट मी”.
मैंने भी कहा थैंक्स मैम फॉर द कंसर्न आई विल थिंक एंड विल गेट बैक टू यू एंड व्हेन आई विल बी रिटर्निंग आई विल डेफिनिटली मीट यू
मुझे उनके प्रस्ताव में उनका मतलब नजर रहा था।इसी बीच मेरे को दो तीन जगह बहन के रिश्ते के खातिर पिताजी के साथ जाना पड़ा जिसके कारण अचानक ही मेरी आर्थिक स्थिति बहुत ही पतली हो गई। किसी तरह से मैंने बचे हुए दिन वहाँ काटे और तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार दो दिन पहले बनारस पहुँच गया रेणुकूट से।वहाँ पहुँचने पर विद्यालय गया और मैडम से मिला और उन्होंने मुझे बहुत समझाने की कोशिश की यहाँ तक की दूसरों के द्वारा भी कोशिश की गई पर मैं टस से मस नहीं हुआ।मेरे बनारस से चलने का समय भी गया।मैंने बाबा विश्वनाथ के आगे हाथ जोड़कर और गंगा मईया को प्रणाम करके शिवगंगा एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए रवाना हुआ।
                                                                                                                     (क्रम जारी है……)

                                                                                                                          'बेबाकी'

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