फिर मायूसी और
चिंता लेकिन जब
शाम
को
कमरे पर
पहुँच कर
मेल
चेक
किया तो
देखा कि
अलवर वाले स्कूल से
मेल
आया
था।मायूसी के
बीच
एक
आशा
कि
किरण।मैंने तुरंत मेल
का
जवाब दे
दिया कि
मैं
तयशुदा समय
पर
उपस्थित हो
जाऊँगा।मुझे साक्षात्कार के
लिए
गुडगाँव में
उनके कारपोरेट कार्यालय 1:00
बजे
दोपहर को
बुलाया गया।मैं अगले दिन
पूछते हुए
वहाँ पहुँच गया।अपनी बारी की
प्रतीक्षा करने लगा
और
एक
घंटे बाद
मुझे अंदर बुलाया गया।जब मैं
अंदर पहुँचा तो
वहाँ स्कूल की
मालकिन और
डायरेक्टर, प्रधानाचार्य श्रीमान सिंह साहब (जो
एक
सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी थे)और
उपाचार्य साहब थे।मुझे लेकर कुल
चार
लोग।मेरी CV की
प्रतिलिपी सबके पास
थी।मुझे बैठने के
लिए
कहा
गया
और
मैं
धन्यवाद कह
कर
सिंह साहब के
बगल
में
बैठ
गया।बैठने बाद
सबने करीब 5
मिनट तक
मेरी CV को
उलट-पलट
कर
देखा।फिर सिंह साहब ने
डायरेक्टर मैडम की
ओर
मुखातिब होते हुए
पूछा
'मैम वुड यू लाइक टू आस्क समथिंग ?'
डायरेक्टर - नो कर्नल. सिंह यू प्रोसीड विद योर क्वेस्चन्स.
कर्नल. सिंह - मिसटर सिंह अप्टिल नॉउ यू वर वर्किंग ऎज PGT हिस्ट्री एंड यू डोंट हैव एक्सपीरियंस ऎज पोलिटिकल साइंस टीचर.
मैं - सर आई थिंक दैट यू वुड आल्सो हैव थॉट समथिंग वाइल सेलेक्टिंग मी फॉर इंटरव्यू . दो आई डोंट हैव फॉर्मल एक्सपीरियंस ऑफ़ पोलिटिकल साइंस बट आई हैव गुड कमांड ओवर द सब्जेक्ट . अप्टिल नॉउ आई हैव बीन टीचिंग हिस्ट्री बट आई एम वेल फमिलिअर विद द करिकुलम ऑफ़ क्लास xii बट नॉट xi, ऎज आई यूज़ टू टीच पोलिटिकल साइंस आल्सो इन्फोर्मली. यू मे प्रोसीड विद योर क्वेस्चन्स एंड चेक माय कम्पेटेन्सी '
कर्नल . सिंह - मिस्टर सिंह टेल मी हु वाज मैकाइवर .
मैं - मैकाइवर वाज अ स्कॉटिश पोलिटिकल थिंकर हु रोट 'द मॉडर्न स्टेट ', 'द वेब ऑफ़ द गवर्नमेंट ', 'लेवियाथन एंड द पीपल ' एंड मेनी अदर वर्क्स . ही वाज नॉट ओनली पोलिटिकल थिंकर बट आल्सो कन्सिडर्ड ऎज सोसिओलॉजिस्ट ऎज ही हैड गुड अमाउंट ऑफ़ इंटरवेंशन इन द फील्ड ऑफ़ सोशियोलॉजी '
कर्नल. सिंह - मिस्टर सिंह यू आर रॉंग . मैकाइवर वाज नॉट अ पोलिटिकल थिंकर बट ही वाज सोसिओलॉजिस्ट एंड ही इज कन्सिडर्ड ऎज 'फादर ऑफ़ सोशियोलॉजी'.
मैं तुरंत कुछ सेकंड के लिए सोच में पड़ गया और फिर बोला 'होल्ड ऑन सर . आई एम वेरी सॉरी टू से दैट यू आर रॉंग . सर आई हैव अ वेरी बैड हैबिट ऑफ़ थिंकिंग आउट ऑफ़ द बॉक्स एंड रीडिंग समथिंग एक्स्ट्रा एंड इन माय ओपिनियन द टर्म सोशियोलॉजी वॉज कोइंड बाई Seiyes, दो ही दीद नॉट यूज़ इट. इट वाज फर्स्ट यूस्ड बाय कोम्टे एंड इट वाज Spencer एंड Durkheim हु मेड इट इंटू एन अकादेमीक डिसिप्लिन . बट अक्कोर्डिंग टू मी ईदर ऑफ़ देम इज कन्सिडर्ड ऎज फादर ऑफ़ सोशियोलॉजी एंड प्रॉबब्ली इट वाज Durkheim.
जैसे ही मैंने अपना उत्तर खत्म किया और सिंह साहब की तरफ ध्यान से देखा मुझे उनके चेहरे पर कुछ गुस्से का भाव झलक रहा था और उन्होंने तुरंत मेरी बात को काटकर कहा-'मिस्टर सिंह यू आर टोटली रॉंग . नाउ यू टेल मी व्हाट वाज द कंट्रीब्युसन ऑफ़ कोम्टे एंड हू वाज ही .'
मैं - ' सर कोम्टे वाज अ फिलॉसफर एंड ही वाज ओनली वन हू यूस्ड द टर्म 'सोशियोलॉजी ' फॉर द 'स्टडी ऑफ़ सोसाइटी '. ही लेड एम्फेसिस ऑन पोलिटिकल फिलॉसॉफी एंड वांटेड टू इस्टैब्लिश 'अ न्यू वर्ल्ड आर्डर ' बाय यूनिफायिंग हिस्ट्री , फिलॉसॉफी , पॉलिटिक्स , इकोनॉमिक्स एंड सोशियोलॉजी .'
कर्नल. सिंह - मिस्टर सिंह ऐट फर्स्ट प्लेस यू आर सेइंग दैट ही यूस्ड द टर्म सोशियोलॉजी एंड सेकन्ड्ली यू आर सेइंग ही वास फिलॉसफर .
मैं- सर व्हाई कान्त अ पर्सन बी फिलॉसफर ,अ हिस्टोरियन, सोसिओलोगिस्ट ऐट द सेम टाइम . इफ विदाउट हैविंग ऐनी प्रायर एक्सपीरियंस ऑफ़ पोलिटिकल साइंस आई कैन अप्पियर फॉर पोलिटिकल साइंस इंटरव्यू व्हाई दोस पीपल कांट बी इंटर-डिसिप्लिनरी स्कॉलर .दे वर अकॅडेमिसियन्स ऑफ़ वेरियस डिसिप्लिन.
मैंने फिर जवाब खत्म करते ही उनके चेहरे की तरफ देखा तो वह मुझे तमतमाए हुए से लगे।
फौजी आदमी वह ठहरे और भला कैसे अपनी हार मान लेते वह भी डायरेक्टर के सामने। उसके बाद उन्होंने मुझसे बहुत सारे सवाल किए, अनुमानतः 20 के करीब।हर सवाल का जवाब मैं देता और वह उसे गलत ठहरा देते फिर अपना उत्तर देते जिसे मैं गलत ठहरा देता।हर एक प्रश्न के बाद वह और तमतमा जाते थे।गुस्सा अब मुझे भी आने लगा और जब-जब वह मेरे उत्तर को गलत ठहराते मेरा भी पारा चढ़ता चला जाता था।एक तो मैं बनारसी और ऊपर से क्षत्रीय खून उबाल मारने लगा। मैं भी जोश में आ गया और सोचा कि अब भाड़ में जाए नौकरी जो होगा देखा जाएगा।मेरा चेहरा भी तमतमाने लगा और नीचे मैंने अपने गुस्से पर नियंत्रण रखने के लिए मुठ्ठी बाँध ली थी क्योंकि मेरी आवाज ऊँची होती जा रही थी और जबान लड़खड़ाने का डर था।दोनों लोगों का चेहरा लाल।डायरेक्टर और उपाचार्य साहब कभी मेरे तरफ देखते तो कभी सिंह साहब की तरफ।
बहस इतनी तीखी हो गई कि किसी समय जबान साथ छोड़ सकती थी मेरा।डायरेक्टर मैम इस चीज को भांप लिया और बीच में दखल देते हुए सिंह साहब से कहा-'कर्नल. सिंह इफ यू डोंट माइंड शैल आई प्रोसीड नाउ विद माय क्वेस्चन्स ?'
सिंह साहब अब क्या करते उनको रुकना पड़ा फिर डायरेक्टर मैडम ने मुझसे केवल औपचारिकता के लिए कुछ बड़े साधारण सवाल किए जैसे मेरे परिवार के बारे में, मेरेबारे में फिर उन्होंने मुझसे कहा 'मिस्टर सिंह नाउ यू कैन गो एंड वी विल गेट बैक टू यू फॉर द नेक्स्ट राउंड .'
मैंने सबको धन्यवाद कहा और बाहर चला आया बहुत ही गुस्से के साथ, लेकिन एक निराशा का भाव लिए हुए।निराशा इसलिए कि कैसे मेरे पूरे जवाब गलत हो सकते हैं।मेरा आत्मविश्वास एक अस्पताल में मृत शरीर के उस मशीन के सुई के समान हो गया था जिसके रुक जाने के बाद उस शरीर को मृत घोषित कर दिया जाता है।
'मैम वुड यू लाइक टू आस्क समथिंग ?'
डायरेक्टर - नो कर्नल. सिंह यू प्रोसीड विद योर क्वेस्चन्स.
कर्नल. सिंह - मिसटर सिंह अप्टिल नॉउ यू वर वर्किंग ऎज PGT हिस्ट्री एंड यू डोंट हैव एक्सपीरियंस ऎज पोलिटिकल साइंस टीचर.
मैं - सर आई थिंक दैट यू वुड आल्सो हैव थॉट समथिंग वाइल सेलेक्टिंग मी फॉर इंटरव्यू . दो आई डोंट हैव फॉर्मल एक्सपीरियंस ऑफ़ पोलिटिकल साइंस बट आई हैव गुड कमांड ओवर द सब्जेक्ट . अप्टिल नॉउ आई हैव बीन टीचिंग हिस्ट्री बट आई एम वेल फमिलिअर विद द करिकुलम ऑफ़ क्लास xii बट नॉट xi, ऎज आई यूज़ टू टीच पोलिटिकल साइंस आल्सो इन्फोर्मली. यू मे प्रोसीड विद योर क्वेस्चन्स एंड चेक माय कम्पेटेन्सी '
कर्नल . सिंह - मिस्टर सिंह टेल मी हु वाज मैकाइवर .
मैं - मैकाइवर वाज अ स्कॉटिश पोलिटिकल थिंकर हु रोट 'द मॉडर्न स्टेट ', 'द वेब ऑफ़ द गवर्नमेंट ', 'लेवियाथन एंड द पीपल ' एंड मेनी अदर वर्क्स . ही वाज नॉट ओनली पोलिटिकल थिंकर बट आल्सो कन्सिडर्ड ऎज सोसिओलॉजिस्ट ऎज ही हैड गुड अमाउंट ऑफ़ इंटरवेंशन इन द फील्ड ऑफ़ सोशियोलॉजी '
कर्नल. सिंह - मिस्टर सिंह यू आर रॉंग . मैकाइवर वाज नॉट अ पोलिटिकल थिंकर बट ही वाज सोसिओलॉजिस्ट एंड ही इज कन्सिडर्ड ऎज 'फादर ऑफ़ सोशियोलॉजी'.
मैं तुरंत कुछ सेकंड के लिए सोच में पड़ गया और फिर बोला 'होल्ड ऑन सर . आई एम वेरी सॉरी टू से दैट यू आर रॉंग . सर आई हैव अ वेरी बैड हैबिट ऑफ़ थिंकिंग आउट ऑफ़ द बॉक्स एंड रीडिंग समथिंग एक्स्ट्रा एंड इन माय ओपिनियन द टर्म सोशियोलॉजी वॉज कोइंड बाई Seiyes, दो ही दीद नॉट यूज़ इट. इट वाज फर्स्ट यूस्ड बाय कोम्टे एंड इट वाज Spencer एंड Durkheim हु मेड इट इंटू एन अकादेमीक डिसिप्लिन . बट अक्कोर्डिंग टू मी ईदर ऑफ़ देम इज कन्सिडर्ड ऎज फादर ऑफ़ सोशियोलॉजी एंड प्रॉबब्ली इट वाज Durkheim.
जैसे ही मैंने अपना उत्तर खत्म किया और सिंह साहब की तरफ ध्यान से देखा मुझे उनके चेहरे पर कुछ गुस्से का भाव झलक रहा था और उन्होंने तुरंत मेरी बात को काटकर कहा-'मिस्टर सिंह यू आर टोटली रॉंग . नाउ यू टेल मी व्हाट वाज द कंट्रीब्युसन ऑफ़ कोम्टे एंड हू वाज ही .'
मैं - ' सर कोम्टे वाज अ फिलॉसफर एंड ही वाज ओनली वन हू यूस्ड द टर्म 'सोशियोलॉजी ' फॉर द 'स्टडी ऑफ़ सोसाइटी '. ही लेड एम्फेसिस ऑन पोलिटिकल फिलॉसॉफी एंड वांटेड टू इस्टैब्लिश 'अ न्यू वर्ल्ड आर्डर ' बाय यूनिफायिंग हिस्ट्री , फिलॉसॉफी , पॉलिटिक्स , इकोनॉमिक्स एंड सोशियोलॉजी .'
कर्नल. सिंह - मिस्टर सिंह ऐट फर्स्ट प्लेस यू आर सेइंग दैट ही यूस्ड द टर्म सोशियोलॉजी एंड सेकन्ड्ली यू आर सेइंग ही वास फिलॉसफर .
मैं- सर व्हाई कान्त अ पर्सन बी फिलॉसफर ,अ हिस्टोरियन, सोसिओलोगिस्ट ऐट द सेम टाइम . इफ विदाउट हैविंग ऐनी प्रायर एक्सपीरियंस ऑफ़ पोलिटिकल साइंस आई कैन अप्पियर फॉर पोलिटिकल साइंस इंटरव्यू व्हाई दोस पीपल कांट बी इंटर-डिसिप्लिनरी स्कॉलर .दे वर अकॅडेमिसियन्स ऑफ़ वेरियस डिसिप्लिन.
मैंने फिर जवाब खत्म करते ही उनके चेहरे की तरफ देखा तो वह मुझे तमतमाए हुए से लगे।
फौजी आदमी वह ठहरे और भला कैसे अपनी हार मान लेते वह भी डायरेक्टर के सामने। उसके बाद उन्होंने मुझसे बहुत सारे सवाल किए, अनुमानतः 20 के करीब।हर सवाल का जवाब मैं देता और वह उसे गलत ठहरा देते फिर अपना उत्तर देते जिसे मैं गलत ठहरा देता।हर एक प्रश्न के बाद वह और तमतमा जाते थे।गुस्सा अब मुझे भी आने लगा और जब-जब वह मेरे उत्तर को गलत ठहराते मेरा भी पारा चढ़ता चला जाता था।एक तो मैं बनारसी और ऊपर से क्षत्रीय खून उबाल मारने लगा। मैं भी जोश में आ गया और सोचा कि अब भाड़ में जाए नौकरी जो होगा देखा जाएगा।मेरा चेहरा भी तमतमाने लगा और नीचे मैंने अपने गुस्से पर नियंत्रण रखने के लिए मुठ्ठी बाँध ली थी क्योंकि मेरी आवाज ऊँची होती जा रही थी और जबान लड़खड़ाने का डर था।दोनों लोगों का चेहरा लाल।डायरेक्टर और उपाचार्य साहब कभी मेरे तरफ देखते तो कभी सिंह साहब की तरफ।
बहस इतनी तीखी हो गई कि किसी समय जबान साथ छोड़ सकती थी मेरा।डायरेक्टर मैम इस चीज को भांप लिया और बीच में दखल देते हुए सिंह साहब से कहा-'कर्नल. सिंह इफ यू डोंट माइंड शैल आई प्रोसीड नाउ विद माय क्वेस्चन्स ?'
सिंह साहब अब क्या करते उनको रुकना पड़ा फिर डायरेक्टर मैडम ने मुझसे केवल औपचारिकता के लिए कुछ बड़े साधारण सवाल किए जैसे मेरे परिवार के बारे में, मेरेबारे में फिर उन्होंने मुझसे कहा 'मिस्टर सिंह नाउ यू कैन गो एंड वी विल गेट बैक टू यू फॉर द नेक्स्ट राउंड .'
मैंने सबको धन्यवाद कहा और बाहर चला आया बहुत ही गुस्से के साथ, लेकिन एक निराशा का भाव लिए हुए।निराशा इसलिए कि कैसे मेरे पूरे जवाब गलत हो सकते हैं।मेरा आत्मविश्वास एक अस्पताल में मृत शरीर के उस मशीन के सुई के समान हो गया था जिसके रुक जाने के बाद उस शरीर को मृत घोषित कर दिया जाता है।
(क्रमश…..)
'बेबाकी'
बहुत बढ़िया आगे चलें .......
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