बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

दोगली देशी कुकुरिया अऊर बिलाइती बोल-५


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अगले दिन जब हम क्लास में पहुँचे तो देखे कि बच्चों का झुंड एक कोने में बैठकर आपस में कुछ चर्चा कर रहा था। धीरे धीरे टहलते हुए वहाँ तक पहुँचे तो देखा कि बच्चे एक कॉपी लेकर कटम-कटाई वाला गेम खेल रहे थे। उसे देखकर बहुत गुस्सा आया और मैंने तुरंत डाँटते हुए कहा " You all are playing this game which kids of class 3-4 play. Stop all these games and behave like a matured students of +2 level. When you all will grow." पूरे क्लास में सन्नाटा पसर गया और मैं चुपचाप मुड़कर ब्लैकबोर्ड मिटाने लगा। इतना करने के बाद मैं बोला " Yes tell me what we have to study today?" कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने धनेसरा को खड़ा किया और बोला " yes you tell me what we have to do today?" धनेसरा धीरे से बोला " Sir today we have to do the fourth criticism and that is " A fourth criticism claims that secularism is coercive and that it interferes excessively with the religious freedom of communities." इतना कहने के बाद धनेसरा बैठ गया और मैं बोलना शुरू किया ' यह भारतीय धर्मनिरपेक्षता के बारे में गलत समझ है। यह सच है कि पारस्परिक निषेध के तौर पर धर्म और राज्य के संबंध विच्छेद के विचार को न मानकर भारतीय धर्मनिरपेक्षता धर्म मे हस्तक्षेप को अस्वीकार करती है। लेकिन इससे यैह निष्कर्ष नहीं निकलता है कि यह अतिशय हस्तक्षेपकारी है।Indian secularism follows the concept of principled distance which also allows for noninterference. Besides, interference need  not automatically mean coercive intervention. यैह बिल्कुल सही है कि Indian secularism राज्यसत्ता समर्थित धार्मिक सुधार को इजाजत देती है।  लेकिन इसे उपर से अारोपित किए गए बदलाव या उत्पीड़नकारी हस्तक्षेप के समान नहीं  माना जाना चाहिए।लेकिन यह आपत्ति तो की ही जा सकती है कि क्या हमेशा ऐसा होता है? फिर विभिन्न धर्मों के निजी कानूनों में सुधार अभी तक क्यों नहीं हुआ? भारतीय राज्य के समक्छ यही बड़ी दुविधा है। एक secular country निजी कानूनों को संविधान द्वारा संरक्छित समुदाय विशेष के अधिकारों के रूप में देख सकता है। वह इन कानूनों का विरोध भी कर सकता है क्योंकि ये महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं देते और इसलिए अन्यायपूर्ण है। साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि ये कानून Secularism के basic principles का तिरस्कार करते हैं। इन्हें अंतर-धार्मिक वर्चस्व से स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति भी समझा जा सकता है और अंतःधार्मिक वर्चस्व की मिसाल भी।
ऐसे आंतरिक टकराव किसी जटिल सिद्धांत के स्वाभाविक अंग होते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि ये हमेशा हमारे साथ बने रहें। ये कानून अलग-अलग धर्मों में विवाह, उत्तराधिकार और अन्य पारिवारिक मामलों को संचालित करते हैं। निजी कानूनों को इस तरह से सुधारा जा सकता है कि वे अल्पसंख्यक अधिकारों के साथ-साथ पुरुष और महिलाओं के बीच बराबरी की मिसाल बनें रहें। ऐसे सुधार बलपूर्वक या राज्यसत्ता के जरिए नहीं लाए जा सकते, लेकिन राज्य इससे पूरी दूरी बनाए रखने की नीति भी नहीं अपना सकती है। राज्यसत्ता को हर धर्म के अंदर उदारवादी और लोकतांत्रिक आवाज का समर्थन करने के जरिए मददगार की भूमिका निभानी होगी।"
हम इतना बोलने के बाद मेज पर पड़ी बोतल उठाकर एक साँस में पानी अपने अंदर उतार लिए। इधर-उधर नजर घुमाई तो देखा तो क्लास में सन्नाटा वह भी ऐसा सन्नाटा जैसे कि क्लास में अकेले रहे हों और पगलाकर बड़बड़ाने लगे हों। जब बच्चों की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो मनेमन बहुत न खुश हुए हम कि चलो आज मैंने बहुत बढ़िया से समझाया कि बच्चे निरुत्तर हो गए और उनके पास कहने को कुछ नहीं है। मेरा सीना चौड़ा हो गया और करेजा तर हो गया और मैंने मँगरुआ को बोला  " Mangru now you get up and proceed further on the next criticism."
उसी सन्नाटे के बीच मंगरुआ खड़ा हुआ पढ़ने के लिए और जैसे ही वह किताब उठाया उतने में ही धनियवा अपने सीट से ही हाथ से इशारा करते हुए बोली" हरे मँगरुआ तोर ढेर खजुआ रहा है? ढेर पढ़ने का जल्दी लग रहा है? अभी कथा कहाँ खतम हुआ है? सुंदर कांड के बिना रामायण खतम हो जाएगा? अरे गुरूदेव जो चौपईया पढ़ें हैं तेल लगाकर हमहू तो ब्याख्वा करेंगे तेल सुखाकर।"
इतना कहने के बाद धनियवा अपने जगह से खड़ी होने लगी तो हम मनेमन सोचे कि हम कुछहू एक्सप्लेन करें अउर कउनो अँगुली न करे और हमारा फुला हुआ सीना चिचुककर मुरझाई किसमिस की तरह हो गया।' हम सोच ही रहे थे कि धनियवा अचानक बोल उठी और हम हड़बड़ा कर उसकी तरफ अपना ध्यान केंद्रित किए। "गुरूदेव आपके ई ब्याख्वा से हम तो क्लीन बोल्ड हो गए। कसम बता रहे हैं अगर हमरे बस में होता तो हम आपको श्रेष्ठ ब्याख्या के लिए कऊनो इनाम जरूर दियाते। केतना बढ़िया से धीरे धीरे तेल लगाकर आप Indian Secularism के फेवर में बैटिंग किए। गजबे गुरूजी ! गजब। गुरूदेव बड़ी धीरे से छुआ कर स्लिप के खेलाड़ी को गच्चा देकर चौचक चऊका मार दिए आप। गुरूदेव आप बोले कि भारतीय राज्यसत्ता का हस्तक्षेप उत्पीड़नकारी हस्तक्षेप नहीं होता है। गुरूजी Indian Secularism उत्पीड़नकारी और अतिशय हस्तक्षेपकारी ही नै है बल्कि गुरूदेव आतंकी है। जबरदस्ती अँगुरियाने की आदत है। गुरूदेव एक ठो शब्द है 'झगड़ा' अऊर दुसरका है 'रगड़ा'। रगड़ा का मतलब हुआ कि जबरदस्ती किसी को धकिया दो अऊर दू थपरा रसीद कर दो कहते हुए'काहे धकियाया बे साले?'। Indian Secularism रगड़ा करके झगड़ा को जन्म देता है। आपको बुझा रहा है नू कि हम का कहना चाह रहे हैं?"
धनियवा अभी बोला रही थी कि घंटा बज गया। हम किताब उठाकर बाहर यह सोचते हुए निकले कि 'कलास में सन्नाटा हमरी ब्याख्या समझ में आने से नै हुआ था बल्कि तबाही के पहिले वाला सन्नाटा था।'

(जारी है...........)

'बेबाकबनारसी'

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