बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

दोगली देशी कुकुरिया अऊर विलाईती बोल-८ (क)


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कलास से तो निकल आए लेकिन अंतिम वाक्य जो धनियवा बोली थी कि 'ठीक गुरूदेव कल हम लोग ब्याख्या करेंगे आपके ब्याख्या की। आप जाइए अऊर कल बहुत मजबूत होकर आइएगा नहीं तो मजबूर हो कर वापस जाना पड़ेगा।', वह मुझे रणभूमि में युद्ध की घोषणा टाईप फीलिंग दे रहा था। मजबूत होकर आइएगा नहीं तो मजबूर होकर वापस जाना पड़ेगा घंटा टाईप करेजा अऊर ऊपर वाले डिपार्टमेंट में टन-टन टाईप बज रहा था। जब सोचो तो लगता था कि मैं सुत रहा हूँ अऊर कऊनो एक सोटा धर दिया हो अऊर हम छन्नननननन...... से हड़बड़ा कर उठ गए हों। खैर अब जब ओखरी में मूड़ी दे ही दिए थे, तो मूसर से का डरना। काश बाऊजी का कहना मान लिए होते अऊर बीटेक सीटेक करके कऊनो कारखाना में मिस्त्री हो गए होते तो ई दिन नहीं न देखना पड़ता। हमहू चले थे 'टीचिंग इज अ नोबलेस्ट प्रोफेशन' के प्रमेय को सिद्ध करने। 'लो करो सिद्ध' कह-कह कर मनेमन खुदै को गरिया रहे थे। खैर जो हुआ ऊ तो हो चुका था, मास्टर बनने का जो पाप किए थे उसका फल तो चखना ही था। मिस्त्री हुए होते तो 'चखना' दूसरा होता। करेजा मजबूत किए अऊर अगला दिन पहुँचे कक्षा ११ के कुरूक्षेत्र में। समझे में नहीं आ रहा था कि कौरव हैं कि पाण्डव हम?
कलास में पहुँच कर कुल औपचारिकता पूरा किए और कलऊतिया को बोले " Yes Kalawati and Dhaniya what you both were saying yesterday?"
कलऊतिया तो मार खाई नागिन टाईप हमको कनखिया कर घूरने लगी। लगा जैसे कि हम कुछ बोले अऊर ऊ जहर उगली। खड़ी हुई अऊर बोली " माफ करिएगा अब तक तो हम अपना पक्ष रख रहे थे लेकिन आप कलिहां बोलकर गए थे कि आप सेकुलरिज्म के पक्ष में हैं। आज आर-पार होगा, आप करेजा पर मत लीजिएगा। आज हम नहीं छोड़ेंगे,गुरूदेव आज शुद्ध देशी में बात होगा। अंग्रेजी जईसी दोगली बोली अऊर सेकुलरिज्म की दोगलई कुकुरिया नहीं हैं हम, हम वसुधैव कुटुम्बकम् वाले हैं।" सीना तानकर ऊँची आवाज में कलऊतिया बोली तो पूरा कलास जोर-जोर से थपोड़ी पीटने लगा। कलऊतिया को साँस लेने का मोका मिल गया अऊर फिर आगे जोर देकर बोली "एक ओर आप भौंक रहे हैं कि 'भारत में वोट बैंक ऐसा कुछ हुआ है, इसका कोई प्रमाण नहीं है अऊर दूसरी ओर कह रहे हैं कि 'भारत में हर समुदाय के संदर्भ में सभी दल ऐसा करते हैं।' पहिला दोगलई तो यहीं सिद्ध हो गया। अऊर रही बात प्रमाण का ससुरा खाली प्रमाणै- प्रमाण से भरा हुआ है स्वतंत्रतोत्तर भारत का इतिहास।
गुरूदेव वोट बैंक के लिए तेल लगाने की परंपरा का बिसमिल्लाह १९५९ में निरहू चचा किए थे जब हज के लिए सब्सिडी दिए और यह परंपरा आज ले पाँचो वक्त का नमाज टाईप बिना रोक टोक अऊर नागा किए जारी है। संविधान के कपारे पर लाठी मारकर संविधान में मौलिक अधिकार का झुनझुना बजाया जा रहा है। गुरूदेव मालूम है आपको सन् २००७ में भारत सरकार ने ५.९५ बिलियन डॉलर का चढ़ावा चढ़ाया अऊर इहो कम लग रहा था तो २००८ में ओकरा को बढ़ाकर ७ बिलियन डॉलर कर दिया। जानते हैं गुरूदेव
भारत को छोड़कर दुनिया क कऊनो देश ईंहा तक कि मुसलमान देश भी हज का सब्सिडी नहीं देता है। अऊर तो अऊर गुरूदेव कुकुरिया का दोगलापन देखिए कि हिन्दू तीर्थार्थियों के लिए जो चीन में कैलाशमानसरोवर की यात्रा पर जाता है या अमरनाथ या बंगाल में गंगासागर उसको कोई सब्सिडी नहीं बल्कि उलटे उनसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स वसूला जाता है। बताइए दोगलापन का लेवल कि 'काफिरों' के कमाई का पईसा से शांतिदूतों पर शांति फैलाने के खातिर लुटा रही है कुकुरिया।
गुरूदेव अऊर लीजिए, भभाएगा तो हमको मत बोलिएगा, बर्रा के छत्ता में अँगुरियाए हैं न आप? १९८२ में NCERT ने आदेश पारित किया स्कूलों की पाठ्यपुस्तक फिर से लिखने का। कई चीजों में से एक आदेश था कि ' मध्यकालीन भारतीय इतिहास को हिन्दू-मुसलमान संघर्ष के रूप में न दिखाया जाए'। दोगलापन का स्तर देखा गुरूदेव कि तेल लगाने के लिए भारत सरकार कभी हम जैसे 'मासूम बचवा लोग' को इहो नहीं बताएगा कि किस तरह यहाँ के लोगों को गाजर-मुरई के तरह काटा था भारत पर आक्रमण करने वाला ई कुल शांतिदूतवा'। दोगलापन वोट बैंक तक नहीं है गुरूदेव, शिक्षा नीति भी दोगलापन का एक उदाहरण है तेलियाने का।"
कलऊतिया गुस्सा से लाल अऊर हम तो बकरीद के बकरा टाईप खड़ा होकर चुप मारकर टुकुर टुकुर ताक रहे थे। कलऊतिया गुस्सा से आगे बढ़ी और हमरे मेजवा के पास आकर हमको जबर घूरी अऊर झटका में पानी का रखा बोतल उठाकर घटर-घटर पानी ढकार गई अऊर फिर अपने जगह पर जाकर बांही से मुँह पोछते हुए बोली " गुरूदेव आप कह रहे थे कि उदाहरण नहीं है भारत में? गुरू जी सलमान रश्डी का नाम कब्बो सुने हैं?" कहकर बड़ी गंदी तरह से मुसकियाई  अऊर आगे बोली " गुरू जी लेखक का नाम है, बूझे? एक ठो किताब लिखे हैं ऊ जिसका नाम है 'सैटेनिक वर्सेज'। ईरान में फतवा जारी हुआ सलमान रश्डी को जान से मारने का लेकिन आपको का बताए गुरूजी जब कितबिया छपकर बाजार में आया तो पहिले किसका भभाया? अयातोल्लाह खोमेईनी का नहीं भारत की दोगली कुकुरिया का, कि किताब इस्लाम के खिलाफ है तब जाकर खोमेईनी को बुझाया कि रश्डिया 'शांति के धरम' के खिलाफ लिख दिया है अऊर तब मर्चाई लगा खोमेईनी को तो फतवा पढ़ दिया ऊ। गुरूदेव ई का है? सेकुलरिज्म? फूँक दे अइसे सेकुलरिज्म के माटी क तेल लगाके।

                                                    (जारी है..........)

                                                         'बेबाकबनारसी'

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