सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

गुरुजी ई लोकतंत्र ना ह LOLतंत्र ह-1 ( Foundational Challenge)


एक दिन कक्षा दस में पढ़ाने गया. कुछहू पढ़ाने का जी नहीं कर रहा था, काहे कि एक दिन के बाद छुट्टी हो रही थी एक हफ्ते के लिए. इस लिए कुछ नया पढ़ाने का मतलब नहीं था. हम बच्चों से कहे " आज नया चैप्टर शुरू नहीं करूंगा, पिछला चैप्टर जो खतम किया हूँ उसमे कौनो दिक्कत हो तो पूछो नहीं तो अगर हम पूछेंगे अउर नहीं बताया तो गिराकर कँड़बो करेंगे भी."
भर कलास में सन्नाटा पसर गया अउर कौनो खड़ा भी नहीं हुआ अउर इससे पहिले हम कौनो को खड़ा करते पूछने के खातिर कलऊतिया हाथ खड़ा करते हुए बोली " गुरूजी कल पिछलका वाला चैप्टर घरे पर दोहरा रहे थे तो एक ठो कांसेप्ट नहीं बुझाया हमको?"
हम बोले " व्हाट हैव यू नाॅट अंडरस्टुड?"
कलऊतिया बोली " सर किताब में लिखा हुआ था 'Defining moments of democracy are: transition to democracy, expansion of democracy and deepening of democracy. Atlease fourth of the globe is still not under the democratic government. The challenge for democracy in these parts of the world is very stark. There are three type challenges that any government faces when they adopt democracy. These are-

1.Foundational challenge.

2. Challenge of expansion.

3. Challenge of deepening.

गुरूजी इ defining moments का होता है अउर तीन ठो जो challenge दिया है उसको विस्तार से उदाहरण के साथ समझा दीजिये. ससुरा गणित है कि राजनीति विज्ञान? ख़ोपड़िया में घुसबे नहीं करता है. सहिये में नारद मुनि अउर राजनीति एक्कै बिरादर हैं.

हम पूरे कलास को समझाते हुए बोले " देखो ई वाला कांसेप्ट समझने के खातिर सबसे निम्मन तरीका ई है की यदि हम लोग अईसा कौनो दू ठो देश ले लें जो एक्के समय पर आजाद हुए हों अउर उनका तुलना किया जाए. अउर सबसे सही उदाहरण भारत अउर पाकिस्तान से बढ़िया नहीं हो सकता है काहे कि दुनहू को आजादी एक्कै बरिष में मिला अउर दुनहु बरोब्बर दूरी अबहीं तक तये किये हैं. जहाँ तक सवाल है defining moments के मतलब का उसका अर्थ होता है, वो फैसले जिससे आपका भविष्य निर्धारित होता है. आप महल खड़ा करेंगे तो आपको हर निर्णय सोच समझ कर लेना पड़ेगा नहीं तो आप गढ़हा में गिरेंगे. अब बात आती है तीनों challenges की तो पहिला वाला है Foundational challenge.

हम कलऊतिया से बोले कि " बिटिया तनी सा कितबिया से पढ़ कर बांच दो कि किताब में का लिखा है तो हम ब्याख्या  कर दें." कलऊतिया किताब खोली अउर ऊ वाला पन्ना खोलकर पढ़ना शुरू की "Countries which adopt democracy face the foundational challenge of making the transition to democracy and then instituting democratic government. This involves bringing down the existing non-democratic regime, keeping military away from controlling government and establishing a sovereign and functional state.”

जइसे कलऊतिया ख़तम की पढ़कर तब हम बोले “ जब कौनो देश लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनी साशन ब्यबस्था के रूप में अपनाता है तो एक्कै मिनट में कुल थोड़े न बदल जाता है. लोकतंत्र कौनो जादू का छड़ी तो है नहीं जो कि कुल दिशा में फेर दिया अउर कुल बदल गया तुरंत अउर आप पहुँच गए बैकुंठ में. उसके खातिर बुनियादी ढांचा खड़ा करना पड़ता है, फाउंडेशन बनाना पड़ता है. भारत अउर पाकिस्तान दुनहू एक्कै समय आजाद हुए लेकिन अंतर का था ? भारत को तो मालूम था कि उसको आजादी मिलने वाली है अउर हमरे कर्णधार लोग नए भारत के लिए जो सपना देखा था उसके लिए संविधान बनाना शुरू कर दिया लेकिन जिन्ना साहब को तो सपने में भी उम्मीद नहीं था कि उनको पाकिस्तान मिलेगा अउर सही में कहा जाए तो उनको पाकिस्तान चाहिए भी नहीं था.ऊ तो उनको प्रधानमंत्री बनना था लेकिन इधर नेहरू चचा अड़े हुए थे, कुंडली मार कर बईठ गए थे अउर गांधी बाबा उनके कपारे पर हाथ रखे हुए थे. पाकिस्तान तो कांग्रेस की कमजोर नस थी जिसको ऊ टाइम टू टाइम दबाते थे अउर कांग्रेस बिलबिला उठती थी जिसको देखकर जिन्ना साहब को भी लग गया था कि पाकिस्तान की माँग कांग्रेस कभी नहीं मानेगी. लेकिन हुआ का कि उन्नीस सौ छियालिस से जो दंगा शुरू हुआ उसका आँच इतना तेज हो गया कि कांग्रेस को पाकिस्तान का मांग मानना पड़ा. अब जिन्ना साहब के मुँहे से निकला ‘Now what to do’? जिन्ना साहब सोचे जो मिल रहा है ले लो , मँगनी के बछिया का दांत नहीं गिना जाता है. इसलिए उनकी कौनो तइयारी नहीं थी अउर पाकिस्तान काहे कि धरम के आधार पर बना था तो उम्मा वाला वर्ग सत्ता अपने हाथ में रक्खा अउर उम्मा वर्ग में भूमिपतियों का कब्ज़ा था अउर चूँकि भारत अब दुश्मन था तो उसको चेक करने के लिए पइसा अउर मजबूत सेना चाहिए था तो उसी वर्ग ने सैन्य सेवा पर भी कब्ज़ा किया. बिश्वयुद्ध ख़तम हुआ था अउर शीतयुद्ध शुरू हुआ था जिसमे अमेरिका ढेर ताकतवर समझ में आया पाकिस्तान को, तो वो अमेरिका के पैरो पर गिर गया. अउर हम लोग अपना संबिधान बनाने का प्रक्रिया शुरू कर दिए थे अउर गौरवशाली भारत के लिए एक नींव तैयार कर रहे थे.दू साल बाद हमरे पास एक मजबूत संबिधान तैयार था जो लोकतांत्रिक था. Foundational challenge में मौजूदा गैर-लोकतांत्रिक शासन ब्यवस्था को गिराने, सत्ता पर से सेना के नियंत्रण को ख़तम करने की चुनौती होती है या जिस वर्ग के  पास सत्ता केंद्रित होती है उस पर से नियंत्रण हटाना. इसके लिए संबिधान हमने अईसा बनाया जिसमें यह ब्यबस्था थी अउर इस प्रकार हम लोगों ने एक ठोस नींव तइयार किया अपने लिए अउर उस foundational challenge को ख़तम किये.”

एतना बोलकर हम चुपाय ही थे सांस लेने के खातिर कि धनियवा खड़ा होकर बोली " का गुरुदेव आप हम लोग को बकलोल समझ रखें हैं का? का बुड़बकों वाला ब्याख्या टेर रहे हैं।आपका ई बतिया हम सही मान रहे हैं कि पाकिस्तान में जिनके पास सत्ता आई ऊ लोग अपना ठोस बुनियाद खड़ा करने का कऊनो जतन नहीं किया अऊर भारत से दुश्मनी के कारण गिर गया अमेरिका के गोड़े पर अऊर अमेरिका ससुरा बनिया खैरात के नाम पर उसको देंवका की तरह चाटने लगा।"
कलऊतिया तो मरकही गाय टाइप हमको टुकुर-टुकर ताकने लगी अऊर धनियवा तनि सा सुस्ता कर फिर बोली " गुरुदेव आप कह रहे हैं कि हम अपनी बुनियाद बहुत ठोस अऊर मजबूत बनाएँ हैं।गुरुजी! घंटा बनाएँ हैं अऊर पूरा देश ऊहे बजा रहा है। अरे बढ़िया मकान बनाना था तो पुरनका जो अंग्रेजवा बनाकर गया उसको पहिले ढहाए होते, बढ़िया से कई मीटर का गड़हा खने होते अऊर जहाँ तक अंग्रेजी रंग दिखाई देता ऊँहा ले खोदकर जवन कुछ अंड-बंड, दबा-खुचा, हड्डी-फड्डी बहरे निकालकर फेंकना चाहिए था। लगे अंग्रेजी नींव पर मकान खड़ा करने त जवन पपवा दबा था ऊ तो दबा ही रह गया। अब समय-समय पर भुतवा अऊर डईनिया का प्रेम उबाल मरबे करेगा। अरे बढ़िया से गड़हा खने होते, पुरनका पाप बाहर निकाल लिए होते, बढ़िया से फूल-माला, धूप-बत्ती, गंगाजल के साथ होम-सोम कराए होते तब न बढ़िया मकान बना होता।आप टेर रहे थे कि पाकिस्तान में जिनके पास सत्ता आई ऊ कुल मिलाकर एक्कै वर्ग के पास आई। भारत में भी कमोबेश स्थिति ऊहे थी।सत्ता ओकरे हाथ में आई जो अंग्रेजवन का गोड़ धोते थे अऊर तलवा चाटते थे अऊर जब ऊ कुल जा रहे थे थे ऊहे चाटुकार सत्ता लप्प से लपक लिए। कटहरवा का कोवा चाटूकरवा खा रहे थे अऊर बिया दे दिया बाकी को की भूंज कर खाओ। लोकतांत्रिक बुनियाद की बात कर रहे हैं आप, बकलोल हैं आप। दरअसल समाज में विद्रोह न हो जाए तो अपने से नीचे वाले को कुल लेमनचूस पकड़ा दिए 'कि बचवा चुभलावत रहा'। अब सत्ता चलाने के लिए बनिहारों की जरूरत तो होती है तो कुछ वर्ग को साथ में लिए अऊर चिल्लाकर कहने लगे कि 'हम समानता, समरसता, एकता अऊर लोकतंत्र में विश्वास करते हैं'। घंटा समरसता, समता अऊर ऊ बुड़बक बनिहार ससुर लोग बहुत उछल-उछल कर थपोड़ी पीटकर चिल्लाने लगे कि 'अब हमहू लोग बड़का हो गए, छोटका नहीं रहे'। अरे ससुरा अकल का अंधा कुल , अंधा ही रहेगा लेमनचूस चूस रहा है अऊर चूसता रहेगा जईसे अंग्रेजवा कुल इनके आकाओं को लेमनचूस दिया था चुभलाने के खातिर। त गुरुजी हमरो ईंहा सत्ता उनके पास आई जो अंग्रेजो को तेल लगाते थे अऊर मलाई काटते थे। आजादी के बाद क्रीम निकालकर ऊ कुल खाया अऊर बर्तनवा का धोवन पकड़ा दिया बनिहारों को अऊर बनिहरवा कुल ऊछड़-ऊछड़ कर टेरना शुरू कर दिया कि ' हमहू को दूध मिला,हमहू को दूध मिला'। इहै नींव है न जवन ठोस ,मजबूत अऊर गौरवशाली है? देखिए न कितना सुंदर भारत बना है न? लकलका रहा है न?"

धनियवा मुँह बिचकाते हुए चुप हुई तो हम उसको तरेरते हुए बोले ' सच्चो में बकलोले हऊ का? एतना त्याग-तपस्या से आजादी मिला अऊर जेतना ऐश कर रही हो ई सब उस त्याग का नतीजा है। देख नहीं रही हो केतना गौरवशाली नींव खड़ा किया सब।'
अभी हम चुपाए ही थे धनऊतिया खड़ी होते हुए बोली ' गुरुदेव धनियवा सही कह रही है। सत्ता जिनके पास आई उस समय घूम फिरकर आज भी सत्ता ओनहने के पास ह। साम-दाम, दंड-भेद लगाकर ऊ कुल सत्ता अपनही पास रखा करीब साठ बरिस तक अऊर का भरोसा है कि अगवो फिर कब्जिया ले।" फिर कलऊतिया खड़ी हो गई अऊर मूड़ी हिला हिलाकर बोल उठी " गुरुजी हमको समझ में आ गया foundational challenge का कांसेप्ट। आप ऊ हम पर छोड़ दीजिए निर्णय करने के लिए कि foundation केतना बढ़िया से रखाया है। हम लोग अब परीक्षा में बढ़िया से लिख लेंगे।"

बीचै में हम रोकते हुए बोले "अरे कलऊतिया अईसा कुल लिखबी त फेल हो जाओगी परीक्षा में। तुमको कऊनो नंबर नहीं देगा बकवास लिखने के खातिर"

"ए गुरुजी रहने दीजिए। हम तो सच लिखेंगे। कऊनो काटकर देखे, फेल करके देखे तो। फाड़ देवल जाई गुरुजी। पेपरवा निकलवाकर फिर से चेक कराएँगे। चैलेंज करेंगे अऊर प्रूफ के साथ लड़ल जाई। धो देवल जाई गुरुजी। तनि कष्ट करके आप दूसरा वाला कांसेप्ट व्याख्या कर दीजिए। हे रे धनऊतिया तनि कितबिया से दूसरा वाला challenge पढ़ के गुरुदेव को सुना दो ताकि गुरुजी व्याख्या कर सकें" चिल्लाते हुए कलऊतिया बोली अऊर धनऊतिया खड़ी हो गई पढ़ने के लिए।

                                  

                                    'बेबाक बनारसी'

1 टिप्पणी: